डॉक्टरों और नर्सों के कोरोना संक्रमित होने से अस्पताल हो रहे लॉकडाउन, ऐसे में क्या करें?
सेहतराग टीम
कोरोना का कहर पूरी दुनिया में बरप रहा है। दुनियाभर में कोविड-19 से संक्रमित मरीजों की संख्या 18 लाख के पार पहुंच गयी है। वहीं भारत में संक्रमित मरीजों की संख्या लगभग 12 हजार से पार हो गयी है। करीब 377 लोगों की मौत हो गयी है।
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लेकिन अब इस घातक वायरस ने डाक्टरों और नर्सों को भी अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है, जिसकी वजह से अब अस्पतालों को कंटेनमेंट जोन घोषित करते हुए सील किया जा रहा है। कोरोना वायरस के मामले सामने आने के बाद दिल्ली के कई अस्पताल आंशिक रूप से बंद हैं और मुंबई का वॉकहार्ट अस्पताल पूरी तरह बंद है। अब सवाल है कि अगर इतनी तेजी से अस्पताल बंद होंगे तो इलाज करने वाले डॉक्टर कमी हो जाएगी। इस परिस्थिति से कैसे निपटा जाए? देश के जाने-माने कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉक्टर दिनेश पेंढारकर ने सेहत राग से बातचीत में इस समस्या के कुछ समाधान सुझाए हैं।
डॉ पेंढारकर ने मुख्यतः तीन बातों पर ध्यान देने की जरूरत बताई है:
पहला:
जो व्यक्ति अस्पताल के अंदर जा रहा है उसे अस्पताल के बाहर ही रोका जाए।
अस्पताल की बाहरी चारदीवारी को सील किए जाने की जरूरत है अस्पताल में एंट्री के लिए सिर्फ एक ही गेट खुला रखा जाना चाहिए और वहां टेंट लगा कर पारा मेडिकल स्टाफ की एक टीम बिठाई जानी चाहिए। यह टीम अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले सभी मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री पता करे, उनसे यह पूछे कि वह किसी कोरोना प्रभावित इलाके से तो नहीं आ रहे हैं, उनके घर के आसपास कोई ऐसा मरीज तो नहीं है, और इस तरीके के 3-4 सवालों के जरिए यह स्थापित करने का प्रयास करें कि क्या यह कोरोना का संदिग्ध मरीज हो सकता है? अगर जरा सा भी संदेह हो तो उस मरीज को वहीं से थोड़ी दूर पर बनाए गए कोरोना जांच सेंटर में भेज दिया जाना चाहिए।
इसके अलावा कोई व्यक्ति यदि अन्य किसी बीमारी के इलाज के लिए आया है तो उसे सीधे उसी बीमारी से संबंधित विभाग में भेजा जाए ताकि वह अस्पताल में इधर उधर न भटके। उदाहरण के लिए अगर आपको पेट की समस्या है तो उसे उसी विभाग में भेजा जाए जहां इसका इलाज होता हो। क्योंकि असावधानी बरतने पर एक भी पॉजिटिव मरीज अंदर प्रवेश कर जाए तो वह अन्य लोगों को संक्रमित कर देगा। अस्पताल के बाहर ही फ्री स्क्रीनिंग की सुविधा जरूर होनी चाहिए। हर एक व्यक्ति की जांच होनी चाहिए।
दूसरा:
कोविड के इलाज के लिए कई सारे अस्पताल बना दिए हैं जिससे सारा मेडिकल सिस्टम ब्लॉक हो गया है। सारे अस्पतालों को कोविड डेडिकेटेड बनाने की बजाय केवल एक अस्पताल को कोविड डेडिकेटेड बनाएं। एक अस्पताल की कैपेसिटी ख़त्म होने के बाद दूसरे अस्पताल को कोविड के इलाज के लिए तैयार किया जाए। जैसे-जैसे मरीजों की संख्या बढे, ऐसे ही स्टेप वाइज कार्य किया जाए। ऐसा करने से न सिर्फ बेहतर तरीके से इलाज के लिए मैनेजमेंट होगा बल्कि हेल्थ सिस्टम सही तरह से पहले की तरह कार्य करता रहेगा।
तीसरा:
शहर में कोविड की जांच के लिए एक स्थान पर ओपीडी की व्यवस्था की जाए और इसके लिए विज्ञापन दिया जाना चाहिए ताकि किसी को कोविड होने की आंशका है तो वह वहां जाकर अपनी जांच करा सके। इससे न तो लोगों की आवाजाही होगी और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन भी होगा। जितना अधिक प्रचार होगा उतना अधिक लोग जागरूक होंगे।
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